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दिवाली 2021#diwali2021 दीपावली पर निबंध diwali ages

मनुष्य के जीवन मे सामान्य और विशेष दो प्रकार के कार्य होते हैं। सामान्य कार्य और दिन बराबर होते हैं, किंतु विशेष कार्य और विशेष दिन अपने नियत समय पर आते हैं और उनका विशेष महत्व होता है। त्योहारों का महत्व इसलिए है कि उनमें अनेक विशेषताएं होती हैं तथा वे विशेष समय पर आते हैं।

ऐसा ही एक विशेष दिन वाला त्योहार है दीपावली जो की इस बार 4 नवंबर 2021 को है। diwali 2021 , diwali photo और दिवाली images के साथ – साथ आप इस पोस्ट में हमारे साथ (www.aryanraj.org ) के साथ पढ़ेंगे – दीपावली पर निबंध जो कि diwali images के साथ साथ diwali essay in hindi

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प्राचीन भारत संछेप में

भारतवर्ष एक ऐसा देश है जहाँ प्राचीनकाल से वर्णाश्रम –व्यवस्था चली आ रही है।

मूलतः भारतीय समाज चार वर्णों में विभाजित है।

प्रत्येक वर्ण का अपना- अपना त्योहार होता है।

उन त्योहारों का भारतीय समाज में बड़ा महत्व है। यह त्योहार मनाने की प्रथा मानव-समाज में अज्ञातकाल से चली आ रही है।

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भारत में चार त्योहार प्रमुख रुप से मनाया जाता हैं-

  • रक्षाबंधन
  • विजयादशमी
  • दिपावलीर
  • होली।

वैश्य का त्योहार

दिवाली का त्योहार विशेषकर वैश्य – वर्ग का माना जाता है। इसका समय कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या माना जाता है। उस समय वर्षा बीत गई रहती है, खेती का कार्य प्रायः कम हो जाता है।

व्यवसायी वर्षाकाल में अपना संग्रहित माल बेच चुके होते हैं। उनकी लक्ष्मी (संपत्ति) अधिकांश उनके पास आ चुकी होती हैं। वे उसकी पूजा करते हैं। पूजा के पहले पूरे मकान की सफाई की जाती है।

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दरिद्र भगाने कि प्रथा

अमावस्या के दिन दीपमालिका का उत्सव मनाया जाता है। देहतों में दरिद्र खदेड़ने की परिपाटी भी चलती है।

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इसलिए दिवाली के एक दिन पहले नरक – चौदस होती है और इस दिन घरों का कूड़ा – करकट सब फेंककर उनकी लीपाई – पुताई करते हैं। दिपावली के दिन सबके घर लिपे – पुते, साफ – सुथरे दिखाई पड़ने लगते हैं।

diwali 2021 में और पढ़े :- रामायण कि कथा

diwali 2021 में हमारे द्वारा दीपावली के निबंध में यह भी जाने की प्राचीनकाल के रामायणयह भी कहा जाता है कि इसी तिथि को महाराजा रामचंद्र जी ने लंका विजय करके अयोध्या में पदार्पण किये थे। उनके आगमन के उपलक्ष्य में उस समय अयोध्या नगर में दीपमालिका मनाई गई। उसी घटना की स्मृती में आज भी दिवाली मनाई जाती है।

वैश्यों का त्योहार :- प्रमाण

यह वैश्यो का त्योहार विशेष रूप से इसलिए भी माना जाता कि वैश्य – वर्ग का कार्य था – कृषि और व्यवसाय। कृषि – कार्य इस समय समाप्त – सा माना जाता है, क्योंकि खरीफ, भदई का काम पूरा हो चुका होता है। रबी की बुआई समाप्त हो चूकी होती है। व्यवसायियों को नये माल के लिए बाहर जाना पड़ता है तथा कृषकों से उनके माल की ढुलाई में सहायता मिलती है, क्योंकि वे खाली रहते हैं। कतिपय किसान कुछ थोड़ा – बहुत व्यवसाय भी करते हैं। इस त्योहार को मनाकर सभी अपने कार्य में लग जाते हैं।

प्राचीन काल में भारत में प्रकृती – पूजा की परिपाटी अधिक थी। लक्ष्मीजी संपत्ति की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती थी। अतः उनकी पूजा उत्साह से की जाती थी। अब भी व्यवसायी वर्ग लक्ष्मी – पूजन उत्साह से करता है।

वर्षा की नयी तथा विभिन्न प्रकार की गंदगियां साफ कर दी जाती हैं और समाज नयी स्फूर्ति से काम पारंभ करता है।

दिवाली हिन्दू संस्कृति का हरसोल्लासपूर्ण त्योहार है।

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